हजारों मील का सफर ,
और बाहें फैलाए हुए दिल
कुछ रिश्ते तो हों ऐसे भी ,
के झूल आयें सुकून की बाहें
हमारी राहों में चांद उग आता ,
न दिन का पता होता न रात का
नींद से बोझिल आँखों में भी ,
सितारों सी टिमटिमाहट होती
आओ के मिलन के रंग में रंगे ,
और फिर जुदाई की खुराकें पी लें
नहीं नहीं, तरक्की की सीढ़ियां चढ़ कर ,
पतंगों सा लहरा कर उड़ लें
तुम आते हो सैंटा की तरह ,
उपहारों से लदे हर सीजन
हर चेहरे को मुस्कराहट देने ,
और वक्त को थोड़ी चाभी भरने
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