आज के दिन नन्हीं चिड़िया ने थीं आँखें खोलीं हमारी दुनिया में
किलकारी गूँजी हमारे अँगना में
दीदी चहकी 'बहना आई ,बहना आई '
घर मेरा गुलजार हुआ
बिन पूछे तुमने कभी कोई काम न था किया
वक्त पर सोना ,जगना ,पढ़ना ,अव्वल आना
इतना अनुशासन कहाँ से सीख कर आईं थीं !
अचरज है ,तुम्हारे सारे कॉम्पिटीटिव्ज भी तुम्हारे दोस्त कैसे बन जाते हैं !
फिर एक दिन तुम पँख फैलाये उड़ गईं आसमान नापने
तुम्हारी तूलिका ने कितने ही रँग उकेरे
ये सूरज ,ये चाँद-तारे
ये दिन ,ये रात ,मौसम सारे
आदमी की फितरत और नज़ारे
सबसे जीवन्त रँग वो जो तेरी आँखों में उतरे और तेरी सँगत में निखरे
इक जादू की झप्पी के साथ जन्मदिन मुबारक