थोड़ा सा प्यार घोल लेना ,सब आसान लगेगा
दुख क्या चीज है ,तूफान भी मेहमान लगेगा
अजब हकीकत है ज़िन्दगी की
कभी जोग , कभी जँग , कहीं टूटन-बिखरन
तू भी कोई रँग घोल दे ,
दूर नहीं अरमान लगेगा
रँगीन बोतलों में बिकते हैं इमोशन्स
सोडा-वॉटर की तरह बैठ जाते हैं पलों में
जो मिला है उसी में थोड़ा सा रस घोल दे ,
पाँव के नीचे आसमान लगेगा
बेचैनियों के बिस्तर पर नीँद आयेगी न कभी
हालत के सजदे में सोच का रुख मोड़ दे
काँटों के बिस्तर पर भी ,
फूलों की महक का अनुमान लगेगा
थोड़ा सा प्यार घोल लेना ,सब आसान लगेगा
दुख क्या चीज है ,तूफान भी मेहमान लगेगा