एक ईश के बन्दे
हिन्दू मुस्लिम सिक्ख ईसाई
जात पात के रन्दे
राह सँकरी पहुँचे वहीं
धर्म नहीं हैं फन्दे
कर्म यज्ञ है आहुति जीवन
अपने अपने हैं हन्दे
एक नूर से उपजे हैं सब
कौन भले कौन मन्दे
रन्दे=औजार जिनसे तराशा जाता है
हन्दे =उपभोग से पहले ब्रहामण के लिये निकाला जाने वाला भाग