रविवार, 14 अगस्त 2022

देश-भक्ति


देश-प्रेम का भाव हिलोरें लेता जब-जब 

नई ऊर्जा रग-रग में भर देता तब-तब 

ये मेरे माथे  का गौरव ,ये है मेरी शान 

मेरी माटी ,मेरा अस्तित्व , ये ही तो है मेरी पहचान 


तीन तरफ है सागर गहरा 

और सिरमौर बना हिमालय 

कल-कल करतीं नदियाँ कहतीं 

प्रेम ,सहिष्णुता , भाईचारा ,मेरी संस्कृति ही मेरी शान 


वीर जवानों नमन तुम्हें है 

सीमा पर खड़े जो सीना तान 

देश की ख़ातिर जान की बाज़ी 

लिपट शहीदों से इतराता , अपना तिरँगा ऐसा महान 


हर क्षेत्र हो उन्नत , क्या प्रौद्योगिकी , क्या तकनीक 

शिक्षा से न हो कोई वंचित 

कीर्तिमान बनायें विश्व-पटल पर 

सँकल्प से सिद्धि मुमकिन है ,देखे देखे सकल जहान 


देश-प्रेम से ओत-प्रोत हो 

हर काम करें निष्ठा से 

देश का हित ही सर्वोपरि है 

रोम-रोम पुलकित हो कर फिर , देश-भक्ति का करे बखान