मंगलवार, 9 नवंबर 2021

माँ के फ़ेवर्स

याद आते होंगे तुम्हें कभी-कभी वो फेवर्स भी (तरफदारियाँ ) 

जो तुम्हारे पापा से , घर वालों से या दुनिया से पँगा लेते हुए भी ,

माँ ने तुम्हारे लिये किये होंगे 


माँ होती है बच्चों की पहली-पहली दोस्त 

तो पहली-पहली दुश्मन भी 

वो बनती है काँटों की बाड़ भी कभी-कभी 

ऐसे सारे लम्हे बन जाएँगे तुम्हारे व्यक्तित्व का हिस्सा 

तुम्हारी यादों में बोलेंगे , ठोकेंगे तुम्हें ,

सहलायेंगे भी तुम्हें 

और फिर तुम्हारी आँखों में उतर आयेंगे 

तुम जो राह से भटकोगे तो परवरिश ही कहलायेगी

तुम जो फूलो-फलोगे तो नाम होगा माँ का भी 


ये गुज़ारिश है हर माँ की तरह मेरी भी 

जीवन की धूप में भी हिलना न तुम कभी 

ठण्डी हवा के झोंकों से ये फेवर्स तुम्हें कहेंगे 

के तुम दुनिया से जुदा हो 

अपनी माँ के लिये तुम बहुत खास हो 

हाँ तुम बहुत खास हो