याद आते होंगे तुम्हें कभी-कभी वो फेवर्स भी (तरफदारियाँ )
जो तुम्हारे पापा से , घर वालों से या दुनिया से पँगा लेते हुए भी ,
माँ ने तुम्हारे लिये किये होंगे
माँ होती है बच्चों की पहली-पहली दोस्त
तो पहली-पहली दुश्मन भी
वो बनती है काँटों की बाड़ भी कभी-कभी
ऐसे सारे लम्हे बन जाएँगे तुम्हारे व्यक्तित्व का हिस्सा
तुम्हारी यादों में बोलेंगे , ठोकेंगे तुम्हें ,
सहलायेंगे भी तुम्हें
और फिर तुम्हारी आँखों में उतर आयेंगे
तुम जो राह से भटकोगे तो परवरिश ही कहलायेगी
तुम जो फूलो-फलोगे तो नाम होगा माँ का भी
ये गुज़ारिश है हर माँ की तरह मेरी भी
जीवन की धूप में भी हिलना न तुम कभी
ठण्डी हवा के झोंकों से ये फेवर्स तुम्हें कहेंगे
के तुम दुनिया से जुदा हो
अपनी माँ के लिये तुम बहुत खास हो
हाँ तुम बहुत खास हो