रविवार, 24 जनवरी 2021

बड़ी दीदी को श्रद्धान्जलि 



बड़ी दीदी ,जैसे माँ की छत्रछाया 
प्यार और अपनत्व का खजाना 
वो आपका गले लगाना कि जैसे हो रूह प्यासी 
दिलेर पिता की दिलेर बेटी ,शाहों के शाह की शाहणी 
कॉंटों के सेज पर महकता गुलाब 
ऊँचा कभी न बोला किसी को ,ऐसी नम्रता की मिसाल थीं आप 
हर बार फोन पर मुझे गुड लक विश करना 
हर रोज एक-एक माला जाप अपने बच्चों और नाती-नातिनों के साथ-साथ भाई-बहन के लिये भी जपना 
इतनी आशीषों से भरीं थीं आप 
आज सोचती हूँ इसीलिये मैं इतने विघ्नों-संकटों से सही-सलामत बाहर आ जाती थी 

बड़े भाई-बहनों का जाना ,है जैसे अपने बचपन की यादों की गुल्लक का रीते होते जाना 
और आपका जाना ,है जैसे ज़िन्दगी से इक युग का अन्त हो जाना 

जब डॉक्टर्स ने हाथ खड़े कर दिये 
मिलने गई तो आवाज लगाई ' दीदी ,दीदी '
सोच रही थी मुस्करा कर आँखें खोल देंगी 
और मेरा नाम लेकर कहेंगीं ' आ गई छोटी बहना '   
मगर अफ़सोस कोई चमत्कार न हुआ 
फिर हार कर कहा कि अब और अपने मोह-पाश में नहीं बाँधूंगी 
ये जीर्ण-शीर्ण काया अब आपके काम की न रही 
अब निहारना दिए की लौ की तरफ और लीन हो जाना अपने असली स्वरूप में 
विलीन हो जाना परम-धाम में 
और यही तो जीवन का एक अकेला परम सत्य है 

पाँचों दामाद हैं जैसे बेटे 
जीवन का उत्तरार्ध सँभाला उन्हींने 
यही एकजुटता रखना तुम कायम 
पाओगे हर घड़ी आशीर्वाद उनका 
राहें होंगी रौशन ,सुख से रहोगे 
आसमान में सितारे की तरह टिमटिमायेंगी वो ,निहारेंगी वो 

बड़ी दीदी जैसे माँ की छत्रछाया