राकेश गुप्ता जी के निधन पर श्रद्धाँजलि
आज रोया है आसमाँ भी
हाय खो दिया है हमने एक नम सीना
तुमने जिया था ज़िन्दगी को एक शायर की तरह
दर्द की इन्तिहाँ को जानता है एक शायर ही
तुम चलते हुए कभी थके ही न थे
वक़्त ने जकड़ा तो जंजीरों की तरह
मौत की आदत है, ये बहाना माँगे
तुमने पी लिये थे घूँट इसके , जीते-जी ही
पिया इतना दर्द और किसी से बाँटा भी नहीं
तुम्हारी साथी कलाइयों ने ,घबराहट में छू ली होंगी कितनी ही गर्म पतीलियाँ
हाथ से छूटे होंगे सालन भी कई
सारी जद्दो-जहद किसी काम न आई
तुम आज़ाद हुए देह के पिंजरे से
तुम्हारे बिना रीती दुनिया ,झाँक रही है किसी की आँखों से
फेरों की वेदी से लेकर चिता की अग्नि की लपटों तक का सफर ,
घूम गया होगा किसी की आँखों के आगे से
अब अतीत की यादें हैं , डूबें के किनारों पर ले आयें
तुम सो जाओ कि तुम्हें ज़न्नत नसीब हो
तुमने कभी किसी को दुख न दिया ,
तुम्हें सुख नसीब हो
आज रोया है आसमाँ भी
हाय खो दिया है हमने एक नम सीना
तुमने जिया था ज़िन्दगी को एक शायर की तरह
दर्द की इन्तिहाँ को जानता है एक शायर ही
तुम चलते हुए कभी थके ही न थे
वक़्त ने जकड़ा तो जंजीरों की तरह
मौत की आदत है, ये बहाना माँगे
तुमने पी लिये थे घूँट इसके , जीते-जी ही
पिया इतना दर्द और किसी से बाँटा भी नहीं
तुम्हारी साथी कलाइयों ने ,घबराहट में छू ली होंगी कितनी ही गर्म पतीलियाँ
हाथ से छूटे होंगे सालन भी कई
सारी जद्दो-जहद किसी काम न आई
तुम आज़ाद हुए देह के पिंजरे से
तुम्हारे बिना रीती दुनिया ,झाँक रही है किसी की आँखों से
फेरों की वेदी से लेकर चिता की अग्नि की लपटों तक का सफर ,
घूम गया होगा किसी की आँखों के आगे से
अब अतीत की यादें हैं , डूबें के किनारों पर ले आयें
तुम सो जाओ कि तुम्हें ज़न्नत नसीब हो
तुमने कभी किसी को दुख न दिया ,
तुम्हें सुख नसीब हो