वो दस बार तेरी चद्दर को बिगाड़ें
और तू माथे पे बिना शिकन डाले उसे सँवारे
जो इतना सब्र है तो आगे बढ़
कोई खुदा है तुझे संभाले हुए
कहाँ मुश्किल है कविता करना
मुश्किल है तो बस उसे जीना
कोई डोर है जो आड़े वक्त में भी
टूटने से है उसे बचाए हुए
इम्तिहान तो है तालीम का हिस्सा
और मौका क़ाबलियत दिखाने का
ठुकते पिटते बर्तन को कोई
ठह्कने से है बचाए हुए
देता है खुदा भी थपकियाँ
चाहिए बस पढ़ने को नजर
हिसाब क्यों कर देगा वो
छाया की तरह है जो संभाले हुए
रविवार, 20 फ़रवरी 2011
मंगलवार, 8 फ़रवरी 2011
और ख़ुशी से नयन सजल
बेटे ने PCC (Chartered Accountant) में - 29th Rank (India,Dubai,Nepal) प्राप्त किया । आज बसन्त पंचमी , वीणा वादिनी का दिन , सुबह से ही मन गुनगुना रहा था ...
तू जो पकड़ ले हाथ तो
सारे इरादे हों सफल
दिखाए जो तू रास्ता
सारे नतीजे हों अव्वल
बल्लियों उछलता दिल
खिले ज्यों झील में कमल
फूटती पहली किरण
सूरज देखो आए निकल
कलम ही है नवाजती
भविष्य यूँ उज्वल-धवल
हो वीणा-वादिनी का वर
चलना है बस संभल-संभल
माँ की ममता ने घर पाया
आज फिर नूतन नवल
है द्रवित हृदय हमारा
और ख़ुशी से नयन सजल
और कभी मन यूँ गुनगुना उठता ...
आस के फूल महकाए रखना
दिया जला है , जलाए रखना
सुखद भविष्य और साथी मन के
अपने बच्चों को देना
मांगती है एक माँ , दूसरी माँ से
मेरा तो है इतना सा जगत
तू है जग की जननी माँ
इल्तिज़ा मेरी तो है इतनी सी फ़कत
अपने बच्चों के चेहरे पर
मुस्कान सदा बनाए रखना
आस के फूल महकाए रखना
और परिणाम सुखद आया ....
वक्त की मुट्ठी खुली तो लम्हा हाथ आया
सलाम ठोकता हुआ नसीब भी साथ आया
शुक्रगुजार हूँ माँ सरस्वती की , जिसने आज ये दिन है दिखाया .....आप सब के साथ ख़ुशी बाँट रही हूँ ...
तू जो पकड़ ले हाथ तो
सारे इरादे हों सफल
दिखाए जो तू रास्ता
सारे नतीजे हों अव्वल
बल्लियों उछलता दिल
खिले ज्यों झील में कमल
फूटती पहली किरण
सूरज देखो आए निकल
कलम ही है नवाजती
भविष्य यूँ उज्वल-धवल
हो वीणा-वादिनी का वर
चलना है बस संभल-संभल
माँ की ममता ने घर पाया
आज फिर नूतन नवल
है द्रवित हृदय हमारा
और ख़ुशी से नयन सजल
और कभी मन यूँ गुनगुना उठता ...
आस के फूल महकाए रखना
दिया जला है , जलाए रखना
सुखद भविष्य और साथी मन के
अपने बच्चों को देना
मांगती है एक माँ , दूसरी माँ से
मेरा तो है इतना सा जगत
तू है जग की जननी माँ
इल्तिज़ा मेरी तो है इतनी सी फ़कत
अपने बच्चों के चेहरे पर
मुस्कान सदा बनाए रखना
आस के फूल महकाए रखना
और परिणाम सुखद आया ....
वक्त की मुट्ठी खुली तो लम्हा हाथ आया
सलाम ठोकता हुआ नसीब भी साथ आया
शुक्रगुजार हूँ माँ सरस्वती की , जिसने आज ये दिन है दिखाया .....आप सब के साथ ख़ुशी बाँट रही हूँ ...
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