बहुत कठिन है डगर जीवन की
बहुत हैं आसाँ राहें मन की
खुद को मिटा कर जी जाता जो
पा लेता वो चाहें मन की
विरही मन से पूछ के देखो
आस-निरास सी बाहें मन की
गलबहियाँ ये खुद को डाले
लाख कहे नहीं राहें मन की
पी डाले ये सब्र का प्याला
प्यास बुझे तब तपते मन की
अपनी बस्ती आप बसाये
कर लेता जब अपने मन की
बहुत हैं आसाँ राहें मन की
खुद को मिटा कर जी जाता जो
पा लेता वो चाहें मन की
विरही मन से पूछ के देखो
आस-निरास सी बाहें मन की
गलबहियाँ ये खुद को डाले
लाख कहे नहीं राहें मन की
पी डाले ये सब्र का प्याला
प्यास बुझे तब तपते मन की
अपनी बस्ती आप बसाये
कर लेता जब अपने मन की