साथ-साथ वक्त बिताना, मिलना-मिलाना अच्छा लगता है
दुनिया के रँगों में रँग-रँग जाना अच्छा लगता है
धीरे से जानोगे , धीरे से समझोगे
बिना मक्सद के कोई किसी से नहीं है मिलता
धीरे-धीरे खुलेगी कलई रिश्तों की , दोस्तों की
गरज हो तो सिर पे बिठायेगी दुनिया
ज़र्रे-ज़र्रे में जमीं पे गिराना ,
दुनिया को अच्छा लगता है
मन ही है मिट्ठू , मन ही है बौना
मन ही है ख्वाहिशों की चादर , अपना बिछौना
मन ही है मिट्टी , मन ही है सोना
इक अंधी दौड़ का राही है ये
कैसे बतायें खोना न खोना
इक नँगा सच है जिस्म लपेटे
मन ही है अद्धा-पव्वा , मन ही है सागर सलोना
मन के रँगों में रँग-रँग जाना अच्छा लगता है
मन को सँभालो , दुनिया है मुट्ठी में
कोई देखे न देखे , जाने न जाने
तेरा सब्र ही है तेरी मस्ती
दुनिया की भीड़ से अलग तेरी बस्ती
आया कोई तो गले से लगा लो
न आया तो रंज नहीं है
राहों से अपना कोई गिला न
जीवन की वेदी पे सब कुछ हवन है
जीवन ही मुस्कराये , चमन में खुशबू-खुशबू होना ,
अच्छा लगता है
दुनिया के रँगों में रँग-रँग जाना अच्छा लगता है
धीरे से जानोगे , धीरे से समझोगे
बिना मक्सद के कोई किसी से नहीं है मिलता
धीरे-धीरे खुलेगी कलई रिश्तों की , दोस्तों की
गरज हो तो सिर पे बिठायेगी दुनिया
ज़र्रे-ज़र्रे में जमीं पे गिराना ,
दुनिया को अच्छा लगता है
मन ही है मिट्ठू , मन ही है बौना
मन ही है ख्वाहिशों की चादर , अपना बिछौना
मन ही है मिट्टी , मन ही है सोना
इक अंधी दौड़ का राही है ये
कैसे बतायें खोना न खोना
इक नँगा सच है जिस्म लपेटे
मन ही है अद्धा-पव्वा , मन ही है सागर सलोना
मन के रँगों में रँग-रँग जाना अच्छा लगता है
मन को सँभालो , दुनिया है मुट्ठी में
कोई देखे न देखे , जाने न जाने
तेरा सब्र ही है तेरी मस्ती
दुनिया की भीड़ से अलग तेरी बस्ती
आया कोई तो गले से लगा लो
न आया तो रंज नहीं है
राहों से अपना कोई गिला न
जीवन की वेदी पे सब कुछ हवन है
जीवन ही मुस्कराये , चमन में खुशबू-खुशबू होना ,
अच्छा लगता है