सोमवार, 27 अप्रैल 2020

परिन्दगी के लिए


हौसले की जँग ज़िन्दगी के लिए
ऐ ज़िन्दगी बता , और क्या चाहिए बन्दगी के लिए
हर शर्त सर-माथे पर
ज़िन्दगी की , ज़िन्दगी के लिए

लबों पे हो मुस्कराहट
काबू में हो धड़कन की सुर-ताल
बजा ले मुझको ऐ ज़िन्दगी ,
और क्या चाहिए साजिन्दगी के लिए

धूप-छाया की कहानियों में उलझे तेरे किरदार
तेरे आँचल की है बस दरकार
सुकून दे मुझको ऐ ज़िन्दगी
और क्या चाहिए ताज़िन्दगी के लिए

दूर-दूर बैठे भी हम सब हैं साथ
इक डाल पर बैठे परिन्दों की तरह
पँख हैं तो है परवाज भी हासिल
और क्या चाहिए परिन्दगी के लिए 

रविवार, 5 अप्रैल 2020

दिया

दिया है प्रकाश का नाम 
जिसके आगे अन्धकार हारा है 
मन की बाती और संकल्पों का तेल 
और फिर देखो दिव्यता का खेल 
सम्पूर्ण विश्व साथ हो 
सर पर माँ भारती का हाथ हो 
मँगल की है कामना 
माँगल्य का ही वास हो 
सँताप न व्यापे कभी 
और दिव्यता का साथ हो