सोमवार, 27 अप्रैल 2020

परिन्दगी के लिए


हौसले की जँग ज़िन्दगी के लिए
ऐ ज़िन्दगी बता , और क्या चाहिए बन्दगी के लिए
हर शर्त सर-माथे पर
ज़िन्दगी की , ज़िन्दगी के लिए

लबों पे हो मुस्कराहट
काबू में हो धड़कन की सुर-ताल
बजा ले मुझको ऐ ज़िन्दगी ,
और क्या चाहिए साजिन्दगी के लिए

धूप-छाया की कहानियों में उलझे तेरे किरदार
तेरे आँचल की है बस दरकार
सुकून दे मुझको ऐ ज़िन्दगी
और क्या चाहिए ताज़िन्दगी के लिए

दूर-दूर बैठे भी हम सब हैं साथ
इक डाल पर बैठे परिन्दों की तरह
पँख हैं तो है परवाज भी हासिल
और क्या चाहिए परिन्दगी के लिए 

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