और जब आया सूरज
मानिनी रूठ गई
तुम सूरज हो
हमने तुम्हें माना है
रोज आता है धरा पर
जायेगा भी कहाँ
मानिनी जान गई
रुई की तरह धुन-धुन कर
कलेजा छलनी हुआ
वो चले अपने रस्ते पर
मानिनी की जान गई
मनुहार करनी नहीं आती सूरज को
थक के सो जाता है
हर सुबह खड़ा है वहीँ
मानिनी भूल गई
उम्मीद वही , ज़िन्दगी भी वही
सारी दुनिया एक तरफ
अपने मन के मौसम तो
सूरज के साथ खड़े
क्यूँ मानिनी रूठ गई ...
मानिनी रूठ गई
तुम सूरज हो
हमने तुम्हें माना है
रोज आता है धरा पर
जायेगा भी कहाँ
मानिनी जान गई
रुई की तरह धुन-धुन कर
कलेजा छलनी हुआ
वो चले अपने रस्ते पर
मानिनी की जान गई
मनुहार करनी नहीं आती सूरज को
थक के सो जाता है
हर सुबह खड़ा है वहीँ
मानिनी भूल गई
उम्मीद वही , ज़िन्दगी भी वही
सारी दुनिया एक तरफ
अपने मन के मौसम तो
सूरज के साथ खड़े
क्यूँ मानिनी रूठ गई ...