वो जो सड़कों पर बिखरा है लहू
रुक के देख , किसका है ?
तेरा हाथ , तेरा पाँव , तेरे वजूद का हिस्सा तो नहीं ?
लहू के बदले लहू
इतनी जानों का लहू ,
कितने जन्मों में चुका पायेगा ?
इतनी आहों , इतनी सिसकियों की भरपाई कैसे होगी ?
कफ़न को सेहरा समझ ,भटकती रूहों की समाई कैसे होगी ?
तराजू में तुल के मिलती है रहमत ,मरहम के बदले
क्यों बने मोहरे , वहशत के कारोबार से सुकून कैसे होगा ?
चार दिन जो जन्नत का नजारा लेते
सफर का सुकून ही सब कुछ है
क्यों जहर का सहारा लेते