शनिवार, 30 अक्टूबर 2010

राहें मन की

बहुत कठिन है डगर जीवन की
बहुत हैं आसाँ राहें मन की
खुद को मिटा कर जी जाता जो
पा लेता वो चाहें मन की

विरही मन से पूछ के देखो
आस-निरास सी बाहें मन की
गलबहियाँ ये खुद को डाले
लाख कहे नहीं राहें मन की

पी डाले ये सब्र का प्याला
प्यास बुझे तब तपते मन की
अपनी बस्ती आप बसाये
कर लेता जब अपने मन की

13 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
    प्रस्तुति कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
    कल (1/11/2010) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
    देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
    अवगत कराइयेगा।
    http://charchamanch.blogspot.com

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  2. खुद को मिटा कर जी जाता जो
    पा लेता वो चाहें मन की....
    .....पी डाले ये सब्र का प्याला
    प्यास बुझे तपते मन की
    अपनी बस्ती आप बसाये
    कर लेता जब अपने मन की....
    बहुत अच्छी रचना है.

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  3. पी डाले ये सब्र का प्याला
    प्यास बुझे तपते मन की
    अपनी बस्ती आप बसाये
    कर लेता जब अपने मन की
    बहुत अच्छी लगी आपकी अभिव्यक्ति।

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  4. अपनी बस्ती आप बसाये
    कर लेता जब अपने मन की
    उमदा रचना के लिये बधाई।

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  5. खुद को मिटा कर जी जाता जो
    पा लेता वो चाहें मन की
    sundar!

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  6. वंदना जी और चर्चामंच दोनों का शुक्रिया , साथ साथ दिए गए कमेंट्स से विनोद का पुट आ गया है , ये मेरा पहला ब्लॉग(कविताओं का) है , जब भी मैं कोई रचना पोस्ट करती हूँ , पलट कर चिट्ठा-जगत पर ताजा रचनाएं पढने के लिए जाती हूँ तो देखती हूँ कि १७ या २१ लोग इसे पढ़ रहे हैं मगर टिप्पणी एक भी नहीं आती , थोड़ा हतोत्साहित होती हूँ कि शायद अच्छा नहीं लिखा , पर जब चर्चामंच या कोई अन्य अपने ब्लॉग पर एड करता है तो कोई कान में फुसफुसाता है कि तुम इतना बुरा भी नहीं लिखतीं ...वैसे टिप्पणी के लिए या कीर्ति के लिए लिखना तो दिशा भ्रमित करने जैसा है ...हम तो लिखते हैं कि कुछ कदम चल पायें , वर्ना रुक गए थे जिन्दगी की रफ़्तार देखते हुए ...

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  7. विरही मन से पूछ के देखो
    आस-निरास सी बाहें मन की
    गलबहियाँ ये खुद को डाले
    लाख कहे नहीं राहें मन की

    सुन्‍दर शब्‍दों के साथ भावमय प्रस्‍तुति ।

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  8. पी डाले ये सब्र का प्याला
    प्यास बुझे तब तपते मन की
    अपनी बस्ती आप बसाये
    कर लेता जब अपने मन की
    Shardaji behad khoobsoorat!

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  9. रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
    सुन्दर अभिव्यक्ति...

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आपके सुझावों , भर्त्सना और हौसला अफजाई का स्वागत है