हम घूम आयें चाहे जितना भी देश-विदेश
दुबई,मॉरीशस,यूरोप हो या हो कोई भी देश
अन्दर से हम वही होते हैं
अपनी जड़ों से जुड़े
अपने बचपन की अमानत
ओढ़ लें चाहे हम कोई भी भेष
नहीं भूलता है माँ की उँगलियों का स्वाद
मिट्टी में रची-बसी सी वो खाने की महक
लड़कपन के वो दोस्त , गुपचुप बातें करते
अल्हड़ सी जवानी के वो अद्भुत से खिँचाव
नहीं भूलते हैं वो लम्हे , जो पढ़ा जाते हैं जीवन की किताब
वो खेत ,नदी या छत की मुँडेरों पर चुपचाप बिताये हुए लम्हे
वो मान-मन्नौव्वल करती हुईं चुहलबाजियाँ
अन्दर तक उतर जाती हुईं नाराजगियाँ
लगाम लगाती हुईं बन्दिशों का जहर
कैसे बयाँ हो पाएं वो सब , इक-इक ईंट चिनता है आदमी
तब कहीं मीनार खड़ी होती है
बेशक परवरिश ही बनाती बिगाड़ती है हमें
जूनून ही सँवारता है हमें
लहराते रहते हैं हम आसमाँ में
मगर डोर है उसी जमीं के हाथ
पतँग की तरह कटते ही हो जाते हैं जमींदोज
मगर अन्दर से हम वही होते हैं
आस की डोरी थामे,
नन्हे ज़िद्दी बच्चे से , रंग बिरंगी पतंगों से भरे आसमां को तकते हुए
दुबई,मॉरीशस,यूरोप हो या हो कोई भी देश
अन्दर से हम वही होते हैं
अपनी जड़ों से जुड़े
अपने बचपन की अमानत
ओढ़ लें चाहे हम कोई भी भेष
नहीं भूलता है माँ की उँगलियों का स्वाद
मिट्टी में रची-बसी सी वो खाने की महक
लड़कपन के वो दोस्त , गुपचुप बातें करते
अल्हड़ सी जवानी के वो अद्भुत से खिँचाव
नहीं भूलते हैं वो लम्हे , जो पढ़ा जाते हैं जीवन की किताब
वो खेत ,नदी या छत की मुँडेरों पर चुपचाप बिताये हुए लम्हे
वो मान-मन्नौव्वल करती हुईं चुहलबाजियाँ
अन्दर तक उतर जाती हुईं नाराजगियाँ
लगाम लगाती हुईं बन्दिशों का जहर
कैसे बयाँ हो पाएं वो सब , इक-इक ईंट चिनता है आदमी
तब कहीं मीनार खड़ी होती है
बेशक परवरिश ही बनाती बिगाड़ती है हमें
जूनून ही सँवारता है हमें
लहराते रहते हैं हम आसमाँ में
मगर डोर है उसी जमीं के हाथ
पतँग की तरह कटते ही हो जाते हैं जमींदोज
मगर अन्दर से हम वही होते हैं
आस की डोरी थामे,
नन्हे ज़िद्दी बच्चे से , रंग बिरंगी पतंगों से भरे आसमां को तकते हुए
सच है की अन्दर से हम वही रहते हैं जिसको सींचा होता है बरसों ...
जवाब देंहटाएंआवश्यक सूचना :
जवाब देंहटाएंअक्षय गौरव त्रैमासिक ई-पत्रिका के प्रथम आगामी अंक ( जनवरी-मार्च 2019 ) हेतु हम सभी रचनाकारों से हिंदी साहित्य की सभी विधाओं में रचनाएँ आमंत्रित करते हैं। 15 फरवरी 2019 तक रचनाएँ हमें प्रेषित की जा सकती हैं। रचनाएँ नीचे दिए गये ई-मेल पर प्रेषित करें- editor.akshayagaurav@gmail.com
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