तू पत्ते-पत्ते में ,हरी डालियों में
तू ही तो झूमता है ,गेहूँ की बालियों में
तू ही प्रेरणा में , तू ही वन्दना में
तू ही बजता है , समय की तालियों में
तू नस-नस में ,रग-रग में
प्राण बन के बहता है , मेरी धमनियों में
तू ही है चन्दा की चाँदनी में
तू ही चमकता है हर पहर,सूरज की लालियों में
है तो हर तरफ़ हमारा ही कोई हिसाब
उलझे हैं हम अपने ही ,कर्मों की पहेलियों में
तुझे देखने को चाहिए , इक नूरानी सी नज़र
तू हर सू है छाया ,जड़-चेतन की हैरानियों में
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