शनिवार, 2 जुलाई 2022

चढ़ो मोरे अँगना

 सूरज हो तुम , खिड़-खिड़ चढ़ो मोरे अँगना

सोना-सोना चमको मोरे अँगना 

चाँदी हो तुम , चाँदी-चाँदी बिखरो मोरे अँगना 


मेरा क्या है , पँख तुम्हारे 

चढ़ बैठूँ मैं पल में चौबारे 

घूँट-घूँट मैं पीती तुझको 

रब है रब है , जीती तुझको 

आ जाओ बस , दमको मोरे अँगना 


धूप सुनहली , चाँदनी रूपहली 

सूरज चन्दा ठिठके मोरी देहली 

आँचल में भर लूँ गोटा-किनारी 

तुम ही तुम हो ठहरे मोरे अँगना 

आ जाओ बस , बरसो मोरे अँगना 

5 टिप्‍पणियां:

  1. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा आज सोमवार(०४-०७-२०२२ ) को
    'समय कागज़ पर लिखा शब्द नहीं है'( चर्चा अंक -४४८०)
    पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा आज सोमवार(०४-०७-२०२२ ) को
    'समय कागज़ पर लिखा शब्द नहीं है'( चर्चा अंक -४४८०)
    पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

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