मैं इसी भीड़ का हिस्सा हूँ
वही पुराना कोई किस्सा हूँ
चाहता तो हूँ मैं भी अगली पंक्ति में होना
पहचान मगर कहाँ किसी आँख में उभरी
पीछे मुड़ कर देखूँ , बहुत से लोग हैं मेरी ही तरह
जो लोग चढ़े हैं फलक पे ,मेरे जैसों का हाल क्या जानेंगे
शायद ये फासले जरुरी हैं ,इन्तिजमात के लिए
आज उसका है तो कल मेरा भी तो हो सकता है
खुशफहमियों में मैं सबसे आगे बैठा हूँ
कतरा भी समन्दर ही है ,ये जाना मैंने
ज़िन्दगी का सलीका है पहचाना मैंने
तन्हा ही रहा तो खुश्क हो जाऊँगा
वक्त की धूप में उड़ा भी तो , सबके साथ बादल सा बरस जाऊँगा
वही पुराना कोई किस्सा हूँ
चाहता तो हूँ मैं भी अगली पंक्ति में होना
पहचान मगर कहाँ किसी आँख में उभरी
पीछे मुड़ कर देखूँ , बहुत से लोग हैं मेरी ही तरह
जो लोग चढ़े हैं फलक पे ,मेरे जैसों का हाल क्या जानेंगे
शायद ये फासले जरुरी हैं ,इन्तिजमात के लिए
आज उसका है तो कल मेरा भी तो हो सकता है
खुशफहमियों में मैं सबसे आगे बैठा हूँ
कतरा भी समन्दर ही है ,ये जाना मैंने
ज़िन्दगी का सलीका है पहचाना मैंने
तन्हा ही रहा तो खुश्क हो जाऊँगा
वक्त की धूप में उड़ा भी तो , सबके साथ बादल सा बरस जाऊँगा
बहुत सुन्दर .
जवाब देंहटाएंनई पोस्ट : बंदिशें और भी हैं
सुन्दर प्रस्तुति ....
जवाब देंहटाएंनव वर्ष की हार्दिक मंगलकामनाओं सहित ..
सुंदर भावाभिव्यक्ति...!
जवाब देंहटाएंवक़्त की धूप में ही जीवन निखरेगा। इसे बहुत कम लोग पहचान पाते हैं।
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