फ़कत दुनिया की सैर करने को
आदम और हव्वा बने
रोज पीता है ग़मों की शराब
अद्धा और पव्वा बने
आदमी आदमी को सहता नहीं
सेर और सव्वा बने
चुप रहना आये किसे क्यूँकर
कोयल और कव्वा बने
ज़िन्दगी दुआ ही दुआ समझो
मर्ज़ और दव्वा बने
दोनों तरफ से सिंकतीं हैं रोटियाँ
आग और तव्वा बने
भरा हो पेट तो पकवान की याद आती है
मीठा और रव्वा बने
आदम और हव्वा बने
रोज पीता है ग़मों की शराब
अद्धा और पव्वा बने
आदमी आदमी को सहता नहीं
सेर और सव्वा बने
चुप रहना आये किसे क्यूँकर
कोयल और कव्वा बने
ज़िन्दगी दुआ ही दुआ समझो
मर्ज़ और दव्वा बने
दोनों तरफ से सिंकतीं हैं रोटियाँ
आग और तव्वा बने
भरा हो पेट तो पकवान की याद आती है
मीठा और रव्वा बने
बहुत सुंदर रचना.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंइस पोस्ट की चर्चा, शनिवार, दिनांक :- 12/04/2014 को "जंगली धूप" :चर्चा मंच :चर्चा अंक:1580 पर.
भरा हो पेट तो पकवान की याद आती है
जवाब देंहटाएंमीठा और रव्वा बने
..बहुत सही!
चुप रहना आये किसे क्यूँकर
जवाब देंहटाएंकोयल और कव्वा बने
सुन्दर रचना ..जहां रौशनी है अन्धकार के कारण उसका मान है ...
भ्रमर ५
क्या बात है...सुन्दर प्रस्तुति...
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