इसी में सार्थकता है लेखन की
खुदा
मेरे पिता का दिल है सबसे बड़ा
ख्याल है उसको सदा , जब जब कोई अकेला पड़ा
पुकारों में वो जगमगा गया , लगा वो आया खड़ा
मेरे पिता का परिवार है सबसे बड़ा
किससे है शिकवा और क्यों गिला , गहरा कहीं रिश्ता बड़ा
संस्कार उसके सुखद हैं , रास्ता है ये लंबा बड़ा
मेरे पिता का दिल है कितना बड़ा
उसने ये महंगा सा सौदा कर लिया , हमको तो ये सस्ता पड़ा
तू खुशी से ख्वाब कर , हर मोड़ पर वो होगा खड़ा
मेरे पिता का घर है सबसे बड़ा
नदियाँ ,चाँद-तारे , दुनिया की न्यामतें सजा
भूला है तू चलन , पेंचों में न जिन्दगी लड़ा
मेरे पिता का हुक्म है सबसे बड़ा
उसका हुक्म सिर माथे पर , उंगली पकड़ चलाएगा
रास्ता वही बताएगा , कदम जिस ओर तू चाहे बढ़ा
मेरे पिता का दिल है सबसे बड़ा
बहुत अच्छा िलखा है आपने ।ं-
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