मंगलवार, 25 अगस्त 2015

पेरेन्ट्स का रिटायरमेंट

तुम इस बदलाव के साझीदार बने 
हो हर कदम पर हमारे साथ 
ये सुकून है हमको 
बोये थे जो बीज कभी ,
फूल बन कर लहलहाये हैं 
दुनिया की हवाओं में भी जो महफूज़ रहे 
रिश्तों की उसी छाँव में चल के आये हैं 

हमारी धूप पहुँची है तुम्हारे दिल तक 
यही बहुत है हमारे जीने के लिये 
गर ये पड़ाव इतना हसीन है तो 
हमें जरुरत क्या अतीत में झाँकने की 

उम्र ने देख लिया ये पड़ाव भी हँसते-हँसते 
पेरेन्ट्स का रिटायरमेंट ,
ज़िन्दगी की है नये सिरे से शुरुआत 
बच्चों ने भी लिया इसे हाथों-हाथ 

अब हम पर मौसम का असर नहीं होता 
तुम्हारी ठण्डी हवाएँ तैर लेती हैं हमारे आस-पास 
तुम्हारे चेहरे हमसे बतिया लेते हैं 

रविवार, 2 अगस्त 2015

आगे नया सबेरा रे

जड़ पकड़ने लगी है मीठी नीम 
फूलने लगे हैं जिरेनियम  
चल उड़ जा रे पँछी 
के अब ये देस हुआ बेगाना 

आस निरास के दोराहे पर 
डाला है क्यूँ डेरा रे 
अटका है क्यूँ उसी डाल पर 
ये तो जोगी वाला फेरा रे 

तू क्या जाने किस किस डाल पे 
आगे तेरा बसेरा रे 
आँख खोल अब जाग मुसाफिर 
आगे नया सबेरा रे