मंगलवार, 26 मई 2020

धूप

धूप की सुनहली बातें 
धूप से है रौशनी 
पेड़-पौधे , जीव-जन्तु ,सारे नज़ारे 
धूप दुनिया का सबब है 
धूप से है कुल जहान 

धूप गढ़ती है कसीदे ,
आदमी की शान में 
पाँव के छाले ये कहते ,
धूप के टुकड़ों ने लिक्खी 
तेरी हिम्मत है नादान 

आदमी को चाहिए 
गुनगुनी हो धूप तो 
मजा ले सुबह का 
दोपहर की धूप ने ही ,
लिखनी है तेरी दास्तान 

धूप है गर यातना तो 
धूप ही क़दमों का दम 
धूप कहती दूर मंज़िल 
राह में रुकना नहीं है 
धूप ही तो तेरी उड़ान 

धूप है दुनिया का चेहरा 
सामने है अलमस्त सहरा 
धूप तेरी मुश्किलें हैं 
धूप हैं तेरी झुर्रियां 
धूप है तेरे मन की हालत 
धूप है तेरे सफर का सजदा 
धूप ही ठंडी छाँव है 
खिल उठेगी जब-जब तेरे चेहरे पर 
बन के तेरी ही मृदु ,सौम्य मुस्कान 

शुक्रवार, 15 मई 2020

अदृश्य कोरोना


तुझे बाहर न देख कर ,
फिजाँ भी है खामोश ,ऐ इन्साँ
आये हैं परिन्दे बस्तिओं के करीब ,
तेरा दिल बहलाने को

पेड़ों ने ली अँगड़ाई है , नव-अंकुर फूले
कोयल भो कूकती है
मौसम तो खिला हुआ है
नजर भर के तूने कभी देखा ही नहीं

पर्वत जँगल अब दूर से ही साफ नजर आने लगे हैं
सुन रहे हैं कि जँगली जानवर अब जँगलों से सटी सड़कों पर अक्सर आने लगे हैं
इनके हिस्से की जमीन तूने कब्जाई हुई है
अपने जीने की चाहत में तुझे इन सबका योगदान दिखा ही नहीं

हर ओर है अदृश्य कोरोना
हर चौराहे ,गली ,मोड़ पर रख दिया हो जैसे कब्रिस्तान
याद रख मौत को हर पल , हर कर्म से पहले
जी ले हर घडी को जी भर के , वक्त है जब तक मेहरबान 

इन्सान बचाओ , इंसानियत बचाओ

बढ़ती जा रही है कोरोना से त्रस्त लोगों की सँख्या
सुन तो रहे हैं
सुन्न भी होते जा रहे हैं
हवाओं में है कोरोना का ज़हर
ज़ेहन में हैं मेरे जाँ-बाज सिपाही
सेना , डॉक्टर ,सफाई कर्मचारी
लगा कर दाँव पर खुद को ही
निकले हैं किसी अभियान पर
शुक्रिया कर रहा है मेरे देश का कण-कण
अम्बर से बरसा रहे सुमन
हम साक्षी हैं इस क्षण के भी

मेरे देश का इक इक नागरिक लड़ रहा है लम्बी लड़ाई
खतरे में है वजूद
अदृश्य है दुश्मन
बचा रहे इन्सान का नामों-निशाँ

आओ सब एक साथ
भूल कर सारे भेद , बैर-भरम
सिर्फ हौसले की जंग काफी नहीं
जुनूने-जोश की भाषा समझता है दिल
प्रेरणा ही वो शय है जो जीत का सबब बनती है
जीतेंगे हम , मनुष्य की लड़ाई है मनुष्यता के लिए
इन्सान बचाओ , इंसानियत बचाओ
Save humans , Save humanity