बुधवार, 28 जनवरी 2009

एक है चिन्की , एक टिया

दो नन्हीं चिड़ियाँ गाती हैं

एक है चिन्की , एक टिया

मम्मी का ले गईं जिया



पापा की आँखों के तारे

सोते जगते यही पुकारें

बच्चे मेरे प्यारे-प्यारे

एक है चिन्की , एक टिया



मम्मी ने है नीड़ बुना

प्यारे बच्चों को है चुना

उनका गाना , हँसना सदा सुना

एक है चिन्की , एक टिया



पापा मम्मी हर पल उनके साथ रहें

उनके हर आराम का उनको ख्याल रहे

दोनों बच्चे न्यारे-न्यारे

एक है चिन्की , एक टिया

मंगलवार, 20 जनवरी 2009

अणु


विचार ही तो लाता है


विचारों के झंझावत


सिर पे चढ़ के बोलता


है भेद सारे खोलता


चेहरे के सारे रँगों में


विचार ही गुनगुनाता है



विचारों की तह में है जो अणु


उसे पकड़ , उसे पकड़


रेला विचारों का वही


साथ ले के आयेगा


वही तुझे चलायेगा



टूटे दिलों को जोड़ना


है ही सच्ची प्रार्थना


तू सेतु बन , तू सेतु बन


विचार और कर्म का


कर्म हों तेरी प्रार्थना


टूटे दिलों को जोड़ते


सेतु बन , आवागमन की राह खोलते


बुधवार, 7 जनवरी 2009

दुनिया का मेला है रंग भरा

दुनिया का मेला है रँग भरा

तू क्यों महरूम है रँगों से

तू क्यों उदास है जीवन से

जब रँग ही तेरी प्यास है

और रँग ही तेरी आस है


इन्द्रधनुष के झूले पे

झुलायेगी , तेरी अपनी आस

जब सतरंगी दुनिया है , तेरे पास

उठा ले , इस रँग का प्याला

हो जा मदमस्त

हवायें भी तेरे साथ हैं

जो थमा तो तू थमा


जो थमा तो तू थमा , वक़्त ने थमना नहीं
तू चले जो साथ इसके , इसमें है गरिमा तेरी
तू सजा ले अपनी दुनिया , आज और इस पल अभी

वक़्त है दुनिया का मेला , आज तम्बू इस जगह
तू भी बह ले साथ इसके , मौज मस्ती रंग में
कल को देखेंगे समाँ , किस जगह , किस किस तरह
जो थमा तो तू थमा , वक़्त ने थमना नहीं

वक़्त है नदिया का पानी , रुख है इसका सागर तरफ़
तू भी चल इसकी तरह से , स्वच्छ , निर्मल और धवल
लना तेरा धर्म है , सागर तरफ़ , मंजिल तरफ़
जो थमा तो तू थमा , वक़्त ने थमना नहीं

वक़्त है दुधारी तलवार , सिर पर लटकी पैनी सी
कब गिरेगी किसके सिर पर , औ कर देगी धड़ अलग
लगा ले सबको गले , राही भी तू , रहबर भी तू
जो थमा तो तू थमा , वक़्त ने थमना नहीं

सोमवार, 5 जनवरी 2009

कोई नहीं रोकेगा



मुझको कोई नहीं रोकेगा

रस्सियाँ लेकर

मैं बड़ी दूर चला जाऊंगा

पतवारें लेकर

अठखेलियाँ करनी हैं , लहरों से

समँदर के इशारे लेकर

कितने दिल धड़कते हैं , मेरे सीने में

मांझी से सहारे लेकर

मंजिलें दूर सही , सफर लंबा तो क्या

जोश आयेगा

बिछडे दिलों के मिलने की साँसें लेकर

रोजी-रोटी कमाने की आसें लेकर

बंधा हुआ हूँ अपनी मर्जी से ,किनारों से

साहिल से मिलने की तमन्ना लेकर

केरल का तट हो , मौसम विकट हो

मुझको कोई नहीं रोकेगा

रस्सियाँ लेकर

गुरुवार, 1 जनवरी 2009

सुबह की दस्तक

वो चिड़ियों का कलरव
सुबह की दस्तक
सूरज की आहट
किरणों की जगमगाहट

आंखों में तिरते सपनों के झुरमुट
तिनकों से जुड़ते हवामहलों के गुम्बद
अलसाई आंखों के रुपहले पर्दे पे दस्तक

हर दिन नई इक बात है
हर दिन सपनों की सुगबुगाहट साथ है
हर दिन सबेरा उजली किरणों के हाथ है
हमेशा से उजली किरण सूरज के पास है