छब्बीस जनवरी के उपलक्ष्य में ....
मेरे देश की शान तिरँगा
मेरे देश की आन तिरँगा
सौहाद्र ,एकता , भाईचारा
मेरे देश का मान तिरँगा
केसरिया बाना ताने
उतरी है धूप दिलों में
रँग हरा खुशहाली का
शान्ति दूत सा झण्डा
मुस्तैद जवान है सीमा पर
खेतों में किसान है चौकस
रहट सा चलता चक्र
अन्तस में प्रेम की गँगा
ऋषि-मुनियों की धरती पर
सत्य अहिँसा नारा
जन जन की आवाज़ में गूँजे
देश प्रेम की धारा
लिपट शहीदों से इतराता
मेरे देश की शान तिरँगा
रोष ,जोश और होश न खोते
मेरे देश की आन तिरँगा
मेरे देश की शान तिरँगा
मेरे देश की आन तिरँगा
सौहाद्र ,एकता , भाईचारा
मेरे देश का मान तिरँगा
केसरिया बाना ताने
उतरी है धूप दिलों में
रँग हरा खुशहाली का
शान्ति दूत सा झण्डा
मुस्तैद जवान है सीमा पर
खेतों में किसान है चौकस
रहट सा चलता चक्र
अन्तस में प्रेम की गँगा
ऋषि-मुनियों की धरती पर
सत्य अहिँसा नारा
जन जन की आवाज़ में गूँजे
देश प्रेम की धारा
लिपट शहीदों से इतराता
मेरे देश की शान तिरँगा
रोष ,जोश और होश न खोते
मेरे देश की आन तिरँगा
लिपट शहीदों से इतराता
जवाब देंहटाएंमेरे देश की शान तिरँगा
रोष ,जोश और होश न खोते
मेरे देश की आन तिरँगा
Bahut sundar!
Gantantr diwas mubarak ho!
जवाब देंहटाएंसुंदर कविता ...जय हिंद
जवाब देंहटाएंगणतंत्र दिवस कि हार्दिक शुभकामनायें...
जवाब देंहटाएंबहुत खुबसूरत कविता,
जवाब देंहटाएंबसन्त पञ्चमी की हार्दिक शुभकामनाएँ!
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