बुधवार, 25 जनवरी 2012

मेरे देश की शान तिरँगा

छब्बीस जनवरी के उपलक्ष्य में ....
मेरे देश की शान तिरँगा
मेरे देश की आन तिरँगा
सौहाद्र ,एकता , भाईचारा
मेरे देश का मान तिरँगा

केसरिया बाना ताने
उतरी है धूप दिलों में
रँग हरा खुशहाली का
शान्ति दूत सा झण्डा

मुस्तैद जवान है सीमा पर
खेतों में किसान है चौकस
रहट सा चलता चक्र
अन्तस में प्रेम की गँगा

ऋषि-मुनियों की धरती पर
सत्य अहिँसा नारा
जन जन की आवाज़ में गूँजे
देश प्रेम की धारा

लिपट शहीदों से इतराता
मेरे देश की शान तिरँगा
रोष ,जोश और होश खोते
मेरे देश की आन तिरँगा

5 टिप्‍पणियां:

  1. लिपट शहीदों से इतराता
    मेरे देश की शान तिरँगा
    रोष ,जोश और होश न खोते
    मेरे देश की आन तिरँगा
    Bahut sundar!

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  2. गणतंत्र दिवस कि हार्दिक शुभकामनायें...

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  3. बहुत खुबसूरत कविता,
    बसन्त पञ्चमी की हार्दिक शुभकामनाएँ!
    अपने ब्लाग् को जोड़े यहां से EK BLOG SABKA
    आशा है , आपको हमारा प्रयास पसन्द आएगा!

    जवाब देंहटाएं

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