सोमवार, 28 जनवरी 2013

रिश्तों को चाहिये

कड़वे से घूँट 
सब्र के प्याले से 
हाय क्या अन्दाज़ हैं 
दर्द के निवाले से 

पाए हैं ज़ख्म 
गुलाबों की चाह में 
ज़िन्दगी की राह में 
क़दमों तले छाले से 

आपका हमारा साथ 
बस यहीं तक था 
रिश्तों को चाहिये 
जमीं भी हवाले से 

चला के पानी पे 
भला क्या पायेंगे 
बुलबुले जुगनू से 
महज़ उजाले से 

गढ़ता है वक्त 
भट्टी में कुन्दन को 
ज़िन्दगी के ये भी 
अन्दाज़ हैं निराले से 

गुरुवार, 17 जनवरी 2013

रवानी की तरह चल

वक्त देता नहीं मोहलत 
कहानी पूरी हो जाती है 
फिसल जाती है हाथों से 
ज़िन्दगानी अधूरी हो जाती है 

ज़िन्दगी,  ढीठ हो जाने तलक 
या पिघल जाने तलक 
इम्तिहान है शायद 
फिर न बचता है तू 
न ज़िन्दगी ही बच रहती है ,
सूनी हो जाती है 

दूर के मकान से  
धुआँ-धुआँ सा उठता हो जैसे 
कोई नहीं है तेरे लिए 
जलना है तो औरों के लिए जल 
नमी तेरी ही मिटा डालेगी तुझे 
बुझते हुए हौसलों में ,
रवानी की तरह चल 
रात भी सुबह सी सुहानी हो जाती है ,
कहानी हो जाती है


वक्त देता नहीं मोहलत 
कहानी पूरी हो जाती है 
फिसल जाती है हाथों से 
ज़िन्दगानी अधूरी हो जाती है 



शुक्रवार, 11 जनवरी 2013

Happy Daughter's Day

International Daughter's Day 


बेटी , जिगर का टुकड़ा 
फूलों का जैसे मुखड़ा 

बेटी है दिल की धड़कन 
जैसे हो कोई दौलत 

बेटी है घर की ज़ीनत 
दिन-रात जैसे महके 

बेटी है अपना आप 
हसरतों का जागता रूप 

बेटी है मीठा कर्ज़ 
हँस-हँस के भोगें मर्ज़ 

बेटी का दुख जन्जीरें 
दुखती रगें न कोई छेड़े 

बेटी है कोई नेहमत 
खुदा की हो जैसे रहमत 

झोली में माँ की गुलशन 
सींचे जो दुआओं से 

दिल में नमी है इतनी 
आँखों में उतरे मौसम 

आसमाँ हो उतरा जैसे 
जगत है अपने घर में