International Daughter's Day
बेटी , जिगर का टुकड़ा
फूलों का जैसे मुखड़ा
बेटी है दिल की धड़कन
जैसे हो कोई दौलत
बेटी है घर की ज़ीनत
दिन-रात जैसे महके
बेटी है अपना आप
हसरतों का जागता रूप
बेटी है मीठा कर्ज़
हँस-हँस के भोगें मर्ज़
बेटी का दुख जन्जीरें
दुखती रगें न कोई छेड़े
बेटी है कोई नेहमत
खुदा की हो जैसे रहमत
झोली में माँ की गुलशन
सींचे जो दुआओं से
दिल में नमी है इतनी
आँखों में उतरे मौसम
आसमाँ हो उतरा जैसे
जगत है अपने घर में
बेटी , जिगर का टुकड़ा
फूलों का जैसे मुखड़ा
बेटी है दिल की धड़कन
जैसे हो कोई दौलत
बेटी है घर की ज़ीनत
दिन-रात जैसे महके
बेटी है अपना आप
हसरतों का जागता रूप
बेटी है मीठा कर्ज़
हँस-हँस के भोगें मर्ज़
बेटी का दुख जन्जीरें
दुखती रगें न कोई छेड़े
बेटी है कोई नेहमत
खुदा की हो जैसे रहमत
झोली में माँ की गुलशन
सींचे जो दुआओं से
दिल में नमी है इतनी
आँखों में उतरे मौसम
आसमाँ हो उतरा जैसे
जगत है अपने घर में
बहुत ही सुन्दर रचना दिल को छू गई हार्दिक बधाई
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छे से बेटी को परिभाषित किया है. सुन्दर रचना.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर बेटियों को याद करने के लिए अच्छी रचना बधाई
जवाब देंहटाएंJigar ka tukda hee maan ke pala tha apni beti ko...na jane kahan kho gaya wo tukda?
जवाब देंहटाएंBahut sundar rachna..badhai.
जवाब देंहटाएंप्रभावशाली ,
जवाब देंहटाएंजारी रहें।
शुभकामना !!!
आर्यावर्त (समृद्ध भारत की आवाज़)
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आप सब के स्नेह के लिए बहुत बहुत धन्यवाद ..
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति | शुभकामनायें . हार्दिक आभार हम हिंदी चिट्ठाकार हैं
जवाब देंहटाएंदिल छू गयी आपकी प्रस्तुति . भारत सदा ही दुश्मनों पे हावी रहेगा .
जवाब देंहटाएंसाथ ही जानें
@ट्वीटर कमाल खान :अफज़ल गुरु के अपराध का दंड जानें .
बेटियों के बिना संसार कुछ भी नहीं ...
जवाब देंहटाएंदिल को छूती हुई रचना ...