सोमवार, 24 सितंबर 2012

ज़िन्दगी तेरी इतनी तलब

एक बड़े प्यारे मित्र कैंसर से जूझ रहे हैं ,जब उनसे मिलने अस्पताल गई ,मेरा हाथ पकड़ कर वे बेतहाशा रोये ...कहने को तो उन्हें सँभाला ...मगर वापिस आते तक मन ने न जाने कितनी यात्रा कर ली थी ...

गर पता हो के किसी भी पल छिन सकती है ज़िन्दगी
ऐ ज़िन्दगी , तेरी इतनी तलब पहले तो न की थी मैंने
ये कौन सा चुग्गा डाला है मेरे आगे
फफक के सीने में ठहर गई हो शायद
मुट्ठी से छूट गई हो तो ये अहसास आया
भूला हुआ राही कोई अपने घर आया
सीने से लगा लो मुझे , थक गया हूँ बहुत
तन्हा हूँ , मेरे दर्दों का न सहभागी कोई
अब ये वक्त आन खड़ा है सिरहाने
उल्टी गिनती है साँसों की , फिर ये चूहे बिल्ली सी आँख मिचोली कैसी
कोई पट्टा तो नहीं लिखा था मेरे नाम
फिर भी ये खता की मैंने , सच मान के बैठा था इसी दुनिया को
मुसाफिर खाना है , कैसे कोई समझाये
क्यूँ मोड़े हो मुहँ , खूँटे से उखड़ कैसे चल पाता है कोई
गर ये घर है मेरा , फिर कौन से घर जाना है
काया पिन्जरा है तो मैं तोता क्यूँ  हूँ
सुबह से शाम हुई , रोता क्यूँ हूँ
मेरे सवालों ने मुझे घेरा है
जग चिड़िया का रैन बसेरा है
मेरे माली ने मुझसे नाता तोड़ा क्यूँ है
आओ सीने से लगा लूँ  मैं तुम्हें
ज़िन्दगी तेरी इतनी तलब पहले तो न की थी मैंने


 

शुक्रवार, 14 सितंबर 2012

हिन्दी है पहचान

आज हिन्दी  दिवस पर एक कविता ....

हिन्दी  रस की खान है 
हिन्दी है पहचान 
हिन्दी डाले वाणी में 
अपने पन की जान  

अपना काव्य ,अपना साहित्य 
करते  समृद्ध अपनी सँस्कृति को 
जन जन की आवाज में देखो 
हिन्दी डाले शान 

चार कोस पे बदले भाषा 
विविध रँगों में हिन्दी देखो 
एक सूत्र में बाँधे सबको 
मेरे देश की भाषा महान 

कल थी हिन्दी , आज है हिन्दी , होगी हिन्दी
साज है हिन्दी , आवाज है हिन्दी , हिन्दी हिन्दी
माँ की लोरी , पिता का साया 
हिन्दी का अम्बर तू तान 

हिन्दी रस की खान है
हिन्दी है पहचान
हिन्दी डाले वाणी में
अपने पन की जान  


 

गुरुवार, 6 सितंबर 2012

ज़िन्दगी के वास्ते

वही बहाने , ना-नुकर के फ़साने 
उदासियों में इज़ाफा 
चलें तो चलें कैसे 
चलें जो दिल से तो गुज़र होती नहीं 
चलें दिमाग से तो दिल सा कोई मिलता नहीं 

फूल कलियाँ , तीर तरकश , सुइयाँ काँटे 
नसीब ने झोली भर भर बाँटे 
फूलों के मुखड़े तो भूले 
सुइयाँ काँटे उम्र सारी ले बैठे 

कोई लत , कोई शौक ,  कोई सनक 
तो चाहिए ज़िन्दगी के वास्ते 
किसी और ही लय को माँगती है ज़िन्दगी 
कोई खनक तो चाहिए ज़िन्दगी के वास्ते  ...