आज हिन्दी दिवस पर एक कविता ....
हिन्दी रस की खान है
हिन्दी है पहचान
हिन्दी डाले वाणी में
अपने पन की जान
अपना काव्य ,अपना साहित्य
करते समृद्ध अपनी सँस्कृति को
जन जन की आवाज में देखो
हिन्दी डाले शान
चार कोस पे बदले भाषा
विविध रँगों में हिन्दी देखो
एक सूत्र में बाँधे सबको
मेरे देश की भाषा महान
कल थी हिन्दी , आज है हिन्दी , होगी हिन्दी
साज है हिन्दी , आवाज है हिन्दी , हिन्दी हिन्दी
माँ की लोरी , पिता का साया
हिन्दी का अम्बर तू तान
हिन्दी रस की खान है
हिन्दी है पहचान
हिन्दी डाले वाणी में
अपने पन की जान
हिन्दी रस की खान है
हिन्दी है पहचान
हिन्दी डाले वाणी में
अपने पन की जान
अपना काव्य ,अपना साहित्य
करते समृद्ध अपनी सँस्कृति को
जन जन की आवाज में देखो
हिन्दी डाले शान
चार कोस पे बदले भाषा
विविध रँगों में हिन्दी देखो
एक सूत्र में बाँधे सबको
मेरे देश की भाषा महान
कल थी हिन्दी , आज है हिन्दी , होगी हिन्दी
साज है हिन्दी , आवाज है हिन्दी , हिन्दी हिन्दी
माँ की लोरी , पिता का साया
हिन्दी का अम्बर तू तान
हिन्दी रस की खान है
हिन्दी है पहचान
हिन्दी डाले वाणी में
अपने पन की जान
बहुत सुंदर रचना ... हिन्दी हम भारतीयों की पहचान ...
जवाब देंहटाएंAti sundar....yaad bhee nahee tha ki aaj Hindi diwas hai...
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना... हिन्दी ही हमारी आन,बान और शान है। क्यूंकि "हिन्दी हैं हम वतन है हिन्दोस्तान हमारा, सारे जहां से अच्छा हिन्दोस्तान हमारा...
जवाब देंहटाएंजय हिन्द
बेहद सुन्दर रचना, हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंहिंदी क्यों ख़तरे में है
जवाब देंहटाएंकिसी हिंदी दिवस पर
होगी इसी पर चर्चा!