विचार ही तो लाता है
विचारों के झंझावत
सिर पे चढ़ के बोलता
है भेद सारे खोलता
चेहरे के सारे रँगों में
विचार ही गुनगुनाता है
विचारों की तह में है जो अणु
उसे पकड़ , उसे पकड़
रेला विचारों का वही
साथ ले के आयेगा
वही तुझे चलायेगा
टूटे दिलों को जोड़ना
है ही सच्ची प्रार्थना
तू सेतु बन , तू सेतु बन
विचार और कर्म का
कर्म हों तेरी प्रार्थना
टूटे दिलों को जोड़ते
सेतु बन , आवागमन की राह खोलते
बहुत सुन्दर, बधाई
जवाब देंहटाएं---आपका हार्दिक स्वागत है
चाँद, बादल और शाम
उम्दा विचार-बेहतरीन रचना.
जवाब देंहटाएंसुंदर भाव ।
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