गुरुवार, 1 जनवरी 2009

सुबह की दस्तक

वो चिड़ियों का कलरव
सुबह की दस्तक
सूरज की आहट
किरणों की जगमगाहट

आंखों में तिरते सपनों के झुरमुट
तिनकों से जुड़ते हवामहलों के गुम्बद
अलसाई आंखों के रुपहले पर्दे पे दस्तक

हर दिन नई इक बात है
हर दिन सपनों की सुगबुगाहट साथ है
हर दिन सबेरा उजली किरणों के हाथ है
हमेशा से उजली किरण सूरज के पास है

6 टिप्‍पणियां:

  1. वो चिड़ियों का कलरव
    सुबह की दस्तक
    सूरज की आहट
    किरणों की जगमगाहट
    बहुत सुंदर लगी आप की यह कविता, सुबह सुबह.
    धन्यवाद

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