बुधवार, 7 जनवरी 2009

दुनिया का मेला है रंग भरा

दुनिया का मेला है रँग भरा

तू क्यों महरूम है रँगों से

तू क्यों उदास है जीवन से

जब रँग ही तेरी प्यास है

और रँग ही तेरी आस है


इन्द्रधनुष के झूले पे

झुलायेगी , तेरी अपनी आस

जब सतरंगी दुनिया है , तेरे पास

उठा ले , इस रँग का प्याला

हो जा मदमस्त

हवायें भी तेरे साथ हैं

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