सुनहरी किरणों के मालिक
उतरो , तुम उतरो
सुबहों की उजली रूहों में उतरो
इन्सां की खिलखिलाती हसरतों में उतरोदुआओं को उठते हाथों में उतरो
प्रेम की सारी परिभाषाओं में उतरो
सुनहरी किरणों के मालिक
उतरो , तुम उतरो
उतरो , तुम उतरो
सजदे को उठती निगाहों में उतरो
वफ़ा के सारे रंगों में उतरोविश्वास के आँगन में उतरो
स्वाति नक्षत्र की एक बूँद को ,
तरसते हमारे दिलों में उतरो
सुनहरी किरणों के मालिक
उतरो , तुम उतरो
वाह! बहुत खूब हिसाब- किताब रखने वाले इतना अच्छा लिखते हैं अविश्वसनीय
जवाब देंहटाएंिजंदगी को आपने बडे मामिॆक तरीके से शब्दबद्ध किया है । अच्छा िलखा है आपने । मैने अपने ब्लाग पर एक लेख िलखा है-आत्मिवश्वास के सहारे जीतें िजंदगी की जंग-समय हो तो पढें और प्रितिक्रया भी दें-
जवाब देंहटाएंhttp://www.ashokvichar.blogspot.com
bahut khubsurat rachana
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