भारी भरकम गहनों से सजी ,
दुल्हन का अपना रूप है क्या
भरी भरकम शब्दों से सजी ,
कविता का अपना रूप है क्या
भावों के बिना ये फीकी है ,
आधारों का कहना है क्या
सूरत और सीरत से सजे ,
श्रृंगारों का कहना है क्या
मुखड़े पे नज़र टिकती ही नहीं ,
चुम्बक का कहना है क्या
अलंकृत हो कविता शब्दों और भावों से ,
कविताओं का कहना है क्या
दुल्हन का अपना रूप है क्या
भरी भरकम शब्दों से सजी ,
कविता का अपना रूप है क्या
भावों के बिना ये फीकी है ,
आधारों का कहना है क्या
सूरत और सीरत से सजे ,
श्रृंगारों का कहना है क्या
मुखड़े पे नज़र टिकती ही नहीं ,
चुम्बक का कहना है क्या
अलंकृत हो कविता शब्दों और भावों से ,
कविताओं का कहना है क्या
बहुत सही कहा आपने...अच्छी रचना लगी आपकी...
जवाब देंहटाएंनीरज