सूर्य देवता के रथ चढ़ आये
मेरे सांझ सवेरे
बिन डोरों के ज्योति पकडें
मेरे आस उजाले
मन की यात्रा तो लम्बी है
जीवन यात्रा छोटी
बुध्दि इसका पार न पाये
दुख की मात्रा मोटी
लंबे लंबे डग भरता है
ऊंची ऊंची उडानें
पल में नीचे गिर जाता है
खाइयों जैसी खदानें
कैसे खाने दे डाले
हँसों सी उजली काया को
मोती इसका खाना है
पहचान न पाया माया को
तैर -तैर ऊपर आता है
दाएँ-बाएँ सब जाता है
डोरी अपने हाथ पड़ी जब
झट से सूरज दिख जाता है
हँसों सी उजली काया को
जवाब देंहटाएंमोती इसका खाना है
पहचान न पाया माया को
तैर -तैर ऊपर आता है
दायें बाएँ सब जाता है
डोरी अपने हाथ पड़ी जब
झट से सूरज दिख जाता है waah bahut hi sundar rachana badhai
अच्छा िलखा है आपने ।
जवाब देंहटाएंhttp://www.ashokvichar.blogspot.com
बढ़िया लिखा है!
जवाब देंहटाएंपहचान न पाया माया को
जवाब देंहटाएंतैर -तैर ऊपर आता है
दायें बाएँ सब जाता है
डोरी अपने हाथ पड़ी जब ....
Bhut sundar Abhivyakti. dhanyawad.