आओ कह डालें , सारी कथा
जीवन की सारी व्यथा
मन का प्याला हुआ क्यों खाली
टोली क्यों दुःख दर्दों की छा ली
क्यों चाबे ये चना चबैना
मन का इक मोर मुरैना
पकडें हम मन के धागे
क्यों हम जीवन से भागे
आओ कुछ उजली किरणें बाटें
बढती जायें ये जितनी काटें
सच के पैरों से चल लें
काँटों से यारी कर लें
दुनिया से जो हमको पाना
है बस वही वही लुटाना
धरती हो ऊबड़ खाबड़
चबाना है प्रेम का आखर
संभालें हम मन की डोरें
बाकी हैं ढेरों उजली भोरें
जीवन की सारी व्यथा
मन का प्याला हुआ क्यों खाली
टोली क्यों दुःख दर्दों की छा ली
क्यों चाबे ये चना चबैना
मन का इक मोर मुरैना
पकडें हम मन के धागे
क्यों हम जीवन से भागे
आओ कुछ उजली किरणें बाटें
बढती जायें ये जितनी काटें
सच के पैरों से चल लें
काँटों से यारी कर लें
दुनिया से जो हमको पाना
है बस वही वही लुटाना
धरती हो ऊबड़ खाबड़
चबाना है प्रेम का आखर
संभालें हम मन की डोरें
बाकी हैं ढेरों उजली भोरें
वाह! बहुत अच्छी कवितायें हैं। धन्यवाद। अगली पोस्ट का इंतजार रहेगा।
जवाब देंहटाएंवाह! बहुत सुन्दर.
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