सोमवार, 30 मार्च 2009

हवाओं को दायरे में


मत कैद करना


हवाओं को दायरे में


मत रोकना


पँछियों को पिंजरे में


इनकी उड़ान ही तो है


पहचान इनकी


मुड़ के देख


अपनी उड़ानों को


क्या कोई रुका मन्जर


दे सका है सुकूनों को


पँख फैलाते ही पूरा आसमान नजर आता है


हवा अपनी , खुशबू अपनी , खुदा मेहरबान नजर आता है


पँछी अपने , इनकी उड़ानों में पूरा जहान नजर आता है



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