मैं कोई नहीं हूँ
कुछ तो हूँ मैं
आस्था और विष्वास का दीपक
जगमगाता हुआ है
क़दमों का मेरे जंगी हौसला
मुस्कुराता हुआ है
कुछ तो मेरे मन ने
सहेजा हुआ है
चलती साँसों को मेरी
महकाया हुआ है
कुछ तो हूँ मैं
सूरज उगता है बस तेरे लिए ....... मौके , हिम्मत और उम्मीद लिए ...... ये सौगात है बस तेरे लिए .....
भावों को समेटे हुए
जवाब देंहटाएंसहज और कोमल अभिव्यक्ति!! बधाई.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर भावों को समेटे सुंदर रचना ... बधाई।
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