किसी चिँगारी को हवा दे
वो जलना चाहे
तेरे सीने में दफ़न है
वो पलना चाहे
तेरी नींदों में जगी है
तेरे सँग-सँग वो चलना चाहे
कुछ ऐसी फिजाँ दे
तेरी ताकत में वो ढलना चाहे
तेरी मेहनत के दम पर
ही वो खिलना चाहे
मत हैराँ होना
किसी रोशनी में वो रखना चाहे
एकदम चिंगारी की तरह है आपकी रचना
जवाब देंहटाएंमेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति
किसी चिँगारी को हवा दे
जवाब देंहटाएंवो जलना चाहे
तेरे सीने में दफ़न है
वो पलना चाहे
तेरी नींदों में जगी है
बहुत बढ़िया क्या बात है आनंद आ गया . बधाई .
अच्छी रचना है.
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