घर नहीं बसते हैं राहों पर
घर बसते हैं चाहों पर
चाहों को जगाना है
निगाह उठा कर , बाहें फैला कर देखो
सिमट आता है आकाश बाहों में
बाहों को फैलाना है
जगा ले हौसले अन्दर
तेरे हौसले की बुलन्दी से ज़माना है
हौसलों को उठाना है
प्यार और खुशी के मोती
पलट कर आते हैं दुगने होकर
दोनों हाथों से लुटाना है
सच और तहजीब से
दीन-दुनिया की रोशनी है
दुनिया को सजाना है
Very inspirational :)
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया!!
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