१.
लबों को सीते वक़्त
मन को भी सी लेना
इसको आदत है
टेढ़े-मेढ़े रास्तों पर चलने की
अपनी पगडंडी पर
डगमगाता है
सधे क़दमों चलने वालों का
ध्यान नहीं बंटता है
यात्रा का अभिवादन ही
उनके आगे-पीछे बसता है
२.
चलता तो है
डगमगाता है तू
बैसाखी पकड़ता तो है
धराशाई भी हो जाए तो क्या
उठ कर फ़िर से चलने का
जज्बा मचलता तो है
उठ कर फ़िर से चलने का
जवाब देंहटाएंजज्बा मचलता तो है .....
सुन्दर भाव .
Waah !! In sankshipt panktiyon me bade hi sundar dhang se gahree baat kahi aapne..
जवाब देंहटाएंSundar rachna.