बुधवार, 4 मार्च 2009

रे मन


रे मन


तृष्णा को लगाम दे


िटलर को मात दे देगी


दूध उफन कर बिखर जायेगा


ीछालेदर कर देगी


परछाईओं के पीछे दौड़ोगे


ुछ भी हाथ आयेगा


आँखें अभ्यस्त होंगी तो


ूरज भी नजर आयेगा


तमाशा बनने से पहले


माशबीन बन जाना


चढ़ते सूरज की किरणें


़ुद ही तुझे रास्ता देंगीं



3 टिप्‍पणियां:

  1. तृष्णा को लगाम दे

    हिटलर को मात दे देगी

    दूध उफन कर बिखर जायेगा

    छीछालेदर कर देगी

    परछाईओं के पीछे दौड़ोगे

    कुछ भी हाथ न आयेगा
    अच्छा लिखा है।

    जवाब देंहटाएं

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