अपनों से प्यार सभी करते , गैरों से कितनी दूरी है
कितने बौने हो जाते हम , ये कैसी मजबूरी है
कौन हैं तेरे अपने , चन्द रिश्तेदार , चन्द चापलूस
और वो सब पायदान , जो तेरी सफलता की सीढ़ी हैं
तेरे रुतबे के लोग , तेरे ओहदे से बराबरी करते
कितना पारदर्शी मन और कैसी अपारदर्शी नजर है
ये बनावट कहाँ सीखी ? कुदरत का कानून अलग है
उसकी दुनिया में ढाई आखर ही सारी पढ़ाई है
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