मुझे तो नीँद भी आए न
जो तू गोदी में मुझे सुलाए न
तेरी गोदी में है लोरी का असर
तेरी थपकी का असर जादू सा
सूरज तो है मुट्ठी में मेरी
उजली किरणों का मालिक
रात भर सपनों को गर्माता है
सुबह होते ही आसमान में नजर आता है
यूँ तो जीते हैं सभी
सोते-जगते हैं ,चले जाते हैं
लय मिला कर तुझसे
पलकों पे सपने लिये जड़ों से जुड़े रहते हैं
बहुत ही अच्छी दिल छू लेने वाली रचना....
जवाब देंहटाएंसूरज तो है मुट्ठी में मेरी
जवाब देंहटाएंउजली किरणों का मालिक
रात भर सपनों को गर्माता है
सुबह होते ही आसमान में नजर आता है
बहुत बढ़िया अभिव्यक्ति है ..अच्छी लगी आपकी यह कविता
बहुत बढिया लिखा है .. बधाई।
जवाब देंहटाएंअच्छी लगी आप की ये कविता। इस बार आपके दो ब्लॉग पर जाकर लौट आया हूं वापस लौटने के लिए।
जवाब देंहटाएंदिन से निकली हुई रचना।
जवाब देंहटाएं-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
कमाल कर दिया जी, क्या खूब लिखा है. दिल गार्डन गार्डन हो गया . आप अपने दिल के भावः शब्दों में पीरों कर कविता लिखते हो और मैं अपने दिल के भावः से गुफ्तगू करता हु . मेरे ब्लॉग पर स्वागत है . www.gooftgu.blogspot.com
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