आज मदर्ज डे है , तो माँ के नाम
माँ मुझे आज भी याद है
दालान में , भूरी भैंस का मुझको सींगों पर उठा कर पटकना
गोदी में दुलारती तुम ,
पाँच साल की मैं
स्कूल में , छुट्टी की घन्टी का बजना , सबसे आगे मेरा खड़ा होना
रामसरन का धक्का लगना और मेरा पूरी सीढियाँ लुढ़कना
घर पहुँचना याद नहीं
पर तुम्हारा गोदी में दुलारना याद है
तुमने सदा चाहा कि मैं अगली पँक्ति में खड़ी होऊँ
रामसरन जैसों के पीछे खड़ी भीड़ के दबाव से जो धक्के मुझे मिले !
माँ तुमने मुझे कुसूर देखना नहीं सिखाया , कारण जानना सिखाया
जोड़ने वाली गोंद अगर न बन सकी , तो कैंची या हथौड़ा भी नहीं बनाया
मन ने इतनी दुनिया देखी , प्यार पाने को आज भी ये बच्चा है
इतने गम खा कर , इतनी कस खा कर भी जो तुम चलती रहीं
वो मेरे पिता का प्यार , उसूल और अदब था
और तुम्हारा प्यार , अदब और कर्म था
और यही तुम्हारी ताकत था
आज जब मेरे सपने में आकर , तुमने मेरे बालों में खिजाब लगाया
मैंने जान लिया , चिरनिद्रा में सोई मेरी माँ ने आज फ़िर सपना देखा
अपनी औलाद के अगली पँक्ति में खड़े होने का अरमान देखा
इंसान माँ से जुड़े संस्मरण कभी विस्मृत नहीं कर सकता है . मदर्स डे पर ममतामयी माँ को प्रणाम करता हूँ .
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति,
जवाब देंहटाएंमातृ-दिवस की शुभ-कामनाएँ।
bahut achha
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