गुरुवार, 18 मार्च 2010

जरुरी नहीं के

जरुरी नहीं के
लौटें वो रास्ते
जिनसे थे गुजरे
अरमाँ के वास्ते

पलट कर कभी फिर
नहीं आने वाला
गुजरा था जो पल
रहबर के वास्ते

जिन्दा तो कर लें
कहाँ हैं वो हम
कहाँ हो वो तुम
खो गए रास्ते

जब थे खड़े हम
आँखें बिछाये
हुए न मेहरबाँ
किस्मत के रास्ते


मेरी आवाज़ में ( एक कोशिश की है )
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7 टिप्‍पणियां:

  1. शारदा जी बहुत सुंदर गजल, लेकिन हम सुन नही पा रहे, जब भी वहा कलिक किया वो गुगल मेल पर पहुच जाते है, शायद आप ने लिंक डालने मै कोई गलती कर दी है, कृप्या चेक करे

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  2. पलट कर कभी फिर
    नहीं आने वाला
    गुजरा था जो पल
    रहबर के वास्ते
    बहुत सुन्दर जीवन के दर्शन

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  3. हुए न मेहरबाँ
    किस्मत के रास्ते
    सुन्दर

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  4. पलट कर कभी फिर
    नहीं आने वाला
    गुजरा था जो पल
    रहबर के वास्ते

    बहुत खूबसूरत ....एहसासों को सुन्दर लफ्ज़ दिए हैं..

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  5. जिन्दा तो कर लें...कहाँ हैं वो हम
    कहाँ हो वो तुम.....खो गए रास्ते....
    शारदा जी,
    कहाँ हैं वो हम
    कहाँ हो वो तुम....
    बस सारा दारोमदार... वज़्न....और खूबसूरती
    सिर्फ़ और सिर्फ़ ’वो’ में निहां हो गई है
    क्या कहें....अल्फ़ाज़ नहीं दाद के लिये...वाह वाह.

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  6. शार्दा जी बहुत सुन्दर रचना है बधाई

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