पिता जी का देहान्त और नये साल का आगाज़....
नया साल कुछ ऐसे आया
छूट गयी बरगद की छाया
कानों में ये फुसफुसाया
आशीर्वाद कहाँ जाता है खाली
आसमाँ से इक हाथ है आया
धीर-नीर में , वक्त-बेवक्त में
एक हौसला साथ ले आया
बीज वही है , फूल उगा लो
काँटों का सँग-साथ भी भाया
चल पायें हम उनके नक़्शे-कदम पर
ऊँगली पकड़ेंगे वो , हौसले ने सहलाया
माँ के पास , चले गए हैं
खुद को हमने यूँ बहलाया
नया साल कुछ ऐसे आया
नया साल कुछ ऐसे आया
छूट गयी बरगद की छाया
कानों में ये फुसफुसाया
आशीर्वाद कहाँ जाता है खाली
आसमाँ से इक हाथ है आया
धीर-नीर में , वक्त-बेवक्त में
एक हौसला साथ ले आया
बीज वही है , फूल उगा लो
काँटों का सँग-साथ भी भाया
चल पायें हम उनके नक़्शे-कदम पर
ऊँगली पकड़ेंगे वो , हौसले ने सहलाया
माँ के पास , चले गए हैं
खुद को हमने यूँ बहलाया
नया साल कुछ ऐसे आया
सुख-दुख तो आते-जाते हैं - इनसे ना घबराना!
जवाब देंहटाएंओंठों पर मुस्कान खिलाती शुभकामनाएँ
नए वर्ष की नई सुबह में महके हृदय तुम्हारा!
संयुक्ताक्षर "श्रृ" सही है या "शृ" FONT लिखने के 24 ढंग
"संपादक : सरस पायस"
नियति के आगे हम बेबस हैं. पिता जी को श्रृद्धांजलि!!
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