सोमवार, 4 जनवरी 2010

नया साल कुछ ऐसे आया

पिता जी का देहान्त और नये साल का आगाज़....

नया साल कुछ ऐसे आया
छूट गयी बरगद की छाया
कानों में ये फुसफुसाया
आशीर्वाद कहाँ जाता है खाली
आसमाँ से इक हाथ है आया
धीर-नीर में , वक्त-बेवक्त में
एक हौसला साथ ले आया
बीज वही है , फूल उगा लो
काँटों का सँग-साथ भी भाया
चल पायें हम उनके नक़्शे-कदम पर
ऊँगली पकड़ेंगे वो , हौसले ने सहलाया
माँ के पास , चले गए हैं
खुद को हमने यूँ बहलाया
नया साल कुछ ऐसे आया

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